ब्यूरो रिपोर्टः यूपी उपचुनाव में करहल विधानसभा सीट पर भले भी समाजवादी पार्टी (SP) ने जीत दर्ज की है, लेकिन भाजपा ने जिस तरह यहां अपनी रणनीति बनाई, उससे सपा मुखिया अखिलेश यादव को भी टेंशन है। दो साल में भी यहां सपा की जीत का अंतर 67 हजार से घटकर 14 हजार आ गया। बता दे कि मैनपुरी की करहल सीट पर हुए उपचुनाव में जीत सपा के पाले में रही लेकिन भाजपा की रणनीति सपा के जीत के जश्न को भी फीका कर दिया है।
SP की जीत का जश्न फीका
दो सालों में जीत का अंतर 67 हजार से घटकर 14 हजार पर आ गया। ऐसे में सपा (SP) को भी करहल सीट पर अब कोई नई रणनीति अपनानी होगी। यही कारण है कि जीत के बाद भी सपा में वह उल्लास और तेवर नजर नहीं आ रहे हैं जो हमेशा करहल जीतने के बाद होते थे। सपा (SP) मुखिया अखिलेश यादव के करहल से इस्तीफा देने के बाद सपा ने मुलायम सिंह यादव के पौत्र पूर्व सांसद तेजप्रताप यादव को टिकट दिया था। लगभग एक महीने तक चले मंथन के बाद भाजपा ने यहां रणनीति के तहत यादव कार्ड खेला था।
भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के दामाद अनुजेश सिंह को प्रत्याशी बनाया था। शुरुआत में ये माना जा रहा था कि सपा (SP) का कोर वोट बैंक यादव भाजपा के पाले में जाने के लिए तैयार नहीं होगा, लेकिन अनुजेश ने जोर लगाया तो उन्हें यादवों का समर्थन भी मिला। 23 नवंबर को आए चुनाव परिणाम ने भी ये साफ कर दिया कि यादव वोट बैंक में अनुजेश ने सेंध लगा दी। दरअसल इसी के चलते 2022 में सपा (SP) मुखिया अखिलेश यादव को 67504 वोटों से मिली जीत तेजप्रताप के लिए महज 14725 वोटों तक ही सिमट कर रह गई।
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भाजपा भले ही करहल का गढ़ फतह नहीं कर सकी, लेकिन उसकी रणनीति ने करहल जीतने के बाद भी सपा का जश्न फीका कर दिया। न तो पार्टी कार्यालय पर कोई आतिशबाजी या जश्न का माहौल नजर आया और न ही कार्यकर्ताओं में। शांतिपूर्ण ढंग से ही सपा ने लोगों का आभार जताया।