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RSS नेता Suresh Bhaiyaji का बड़ा बयान: जाति धर्म मे भेदभाव खत्म करे

RSS नेता Suresh Bhaiyaji का बड़ा बयान: जाति धर्म मे भेदभाव खत्म करे

ब्यूरो रिपोर्ट.. आरएसएस नेता सुरेश भैयाजी (Suresh Bhaiyaji) ने जाति आधारित भेदभाव खत्म करने की अपील लोगों से की। उन्होंने कहा कि अगर कोई अनावश्यक अंहकार पैदा होता है तो उसे खत्म करने की जरूरत है। तभी एक समाज का निर्माण होगा। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या हरिद्वार किसी जाति का है हमारे 12 ज्योतिर्लिंग किसी जाति के हैं अगर नहीं तो यह भेदभाव क्यों हैं?

 

RSS नेता Suresh Bhaiyaji का बड़ा बयान

 

RSS नेता Suresh Bhaiyaji का बड़ा बयान: जाति धर्म मे भेदभाव खत्म करे

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता सुरेश भैयाजी ने शुक्रवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने एक समाज के तौर पर सभी से भेदभाव खत्म करने और एकजुट होने की अपील की। भैया जी (Suresh Bhaiyaji) ने कहा कि जाति जन्म से तय होती है। यह एक सामाजिक बुराई है। इसे खत्म करने की जरूरत है। जहां भी आपस में भेदभाव होता है, वह समाज समाज नहीं रहता है। समाज के सभी अंग महत्वूर्ण हैं। कोई कमतर नहीं होता है।

 

RSS नेता Suresh Bhaiyaji का बड़ा बयान: जाति धर्म मे भेदभाव खत्म करे

 

सुरेश भैयाजी (Suresh Bhaiyaji) ने कहा कि जन्म के आधार पर जातियां तय होती हैं। हमको हमारा नाम मिलता है। भाषा मिलती है। हमको भगवान मिलते हैं। धर्म के ग्रंथ मिलते हैं। हम कई प्रकार के महापुरुषों के वंशज कहलाते हैं। क्या वो किसी एक जाति के कारण हैं, क्या कोई कह सकता है कि हरिद्वार किस जाति का है, क्या हमारे 12 ज्योतिर्लिंग किसी जाति के हैं, क्या इस देश के कोने-कोने के 51 शक्तिपीठ किसी जाति के हैं? उन्होंने आगे कहा कि इस देश के चारों दिशाओं में रहने वाला, जो आपने आपको हिंदू मानता है। वो सब इन बातों को अपना मानता है।

 

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फिर भेद कहां पर है। जैसे राज्य की सीमाएं हमारे अंदर भेद निर्माण नहीं कर पाती, वैसे ही जन्म के आधार पर प्राप्त स्थिति हमारे अंदर भेद का निर्माण नहीं कर सकती है सुरेश भैयाजी (Suresh Bhaiyaji) ने कहा कि पुरुष सूक्त में सहस्त्र शीर्ष, सहस्त्र बाहु, सहस्त्र पाद के बारे में बताया गया। यह क्या एक व्यक्ति का वर्णन है? पुरुष सूक्त में जो कहा गया यह वह पुरुष कौन है? यही समाज पुरुष है। राष्ट्र पुरुष है।

 

यह सब एक अंग है। अंग के अलग-अलग हिस्से होंगे लेकिन अंग से अलग नहीं होगा। शरीर का कोई भी हिस्सा कम महत्व का नहीं है। अगर हाथ-पांव आपस में भेदभाव करने लगे तो शरीर शरीर नहीं रहेगा। समाज समाज नहीं रहेगा। इसलिए इन बुराइयों को दूर करना होगा।

 

 

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