ब्यूरो रिपोर्ट- Jayant Chaudhary-चंद्रशेखर बदलेंगे रणनीति। देश में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर तमाम राजनीतिक दलों की नजर लगी हुई हैं। लेकिन इससे पहले राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों यूपी के नेताओ की रणनीति पर भी बड़ा असर छोड़ने वाले हैं। 3 दिसंबर को आने वाले नतीजे यूपी के दो नेताओ के भविष्य की राजनीती की दिशा भी तय करने जा रहे हैं। क्योकि ये चुनाव जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary)और उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के लिए जितना अहम है. उतना ही जरुरी आज़ाद समाजपार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद के लिए भी अहम हैं। क्योकि चंद्रशेखर आजाद राजस्थान में हनुमान बेनीवाल के साथ मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ रहे थे।
लोकसभा में यूपी के नेताओं की रणनीति (Jayant Chaudhary)
वही जयंत चौधरी को कांग्रेस के गठबंधन में एक सीट पर चुनावी ताल ठोक रहे थे। माना जा रहा है कि राजस्थान की जनता के फैसले के आधार पर जयंत चौधरी(Jayant Chaudhary), कोई बड़ा फैसला आने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ले सकते हैं. बता दे की पश्चिम यूपी में जाट गुर्जर दलित वोटबैंक की बड़ी संख्या हैं। और यही वोटबैंक राजस्थान के चुनाव में भी निर्णायक भूमिका हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो राजस्थान का ये विधानसभा चुनाव जयंत चौधरी व् चंद्रशेखर दोनों नेताओं की पार्टी पर भी असर डालने जा रहा हैं।
लोकसभा चुनाव में इसी चुनाव की जीत-हार पर निर्भर करेंगी की आम चुनाव में दोनों नेताओं की अगली रणनीति किस प्रकार होने जा रही हैं। इंडिया गठबंधन में एकजुट हुए ये नेता एक दूसरे के साथ 2024 का लोकसभा साथ लड़ने का आह्वाहन कर चुके हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव में आपसी तालमेल कई बार गड़बड़ाया हैं। जैसे मध्यप्रदेश में अखिलेश यादव कांग्रेस पर जमकर हमलावर रहे. वही राजस्थान में रालोद को कांग्रेस से एक सीट पर चुनाव लड़ने को मिला। जिसको लेकर जयंत चौधरी(Jayant Chaudhary) साफ़ कर चुके थे की उनकी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष कांग्रेस के इस फैसले से नाराज थे।
हालाँकि जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव की तरह खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की थी। जयंत चौधरी कई मोके पर ये कहते सुनाई दिए हैं की वो इंडिया गठबंधन के साथ ही चुनाव लड़ेंगे। चर्चा तो ये भी हैं की जयंत चौधरी लोकसभा चुनाव में उनको मिलने वाली लोकसभा सीट में से एक सीट चंद्रशेखर आज़ाद के लिए छोड़ने का वादा कर चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा हैं की अगर राजस्थान के चुनावी नतीजे कांग्रेस के फेवर नहीं आते हैं तो यूपी में इसका बड़ा असर गठबंधन में देखने को मिलेगा।
ये कहना गलत नहीं होगा की राजस्थान छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, तेलंगना, मिजोरम के चुनावी नतीजे ये तय भी करेंगे की इंडिया गठबंधन की डोर कांग्रेस के हाथो में होंगी या फिर स्थानीय राजनितिक दलों के हाथ हाथो में होंगी। विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले एग्जिट पोल में जिस तरह से बीजेपी की सरकार बनने के आसार बताए जा रहे हैं उसके बाद से ही सियासी हलचल तेज हैं।