प्रयागराज : उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में समाजवादी पार्टी के गाजीपुर सांसद अफजाल अंसारी (Afzal Ansari) के लिए सोमवार का दिन बड़ी राहत वाला रहा। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने अंसारी को गैंगस्टर एक्ट में दी गई चार साल की कैद को चुनौती वाली अपील को मंजूर कर लिया, वहीं राज्य सरकार और दिवंगत विधायक के बेटे पीयूष द्वारा अफजाल अंसारी की सजा बढ़ाने की अपील को खारिज कर दिया। 4 जुलाई को सुरक्षित रखा यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने सोमवार को दिया है।
मामले का 29 तारीख के साथ खास कनैक्शन
वारदात लगभग 19 साल पुरानी है, जब 29 नवंबर 2005 को गाजीपुर में भारतीय जनता पार्टी के विधायक (BJP MLA) कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों को AK-47 से लगभग 500 राउंड गोलियां बरसाकर छलनी कर दिया गया था। इस हत्याकांड का आरोप अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी पर लगा था। सीबीआई कोर्ट से दोनों भाई बरी हो चुके हैं, लेकिन बावजूद इसके इस केस ने इनका पीछा नहीं छोड़ा। अफजाल अंसारी के खिलाफ 120 बी के तहत गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ तो 29 अप्रैल 2023 को गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को 10 और अफजाल अंसारी को 4 साल की कैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद अफजाल अंसारी की संसद सदस्यता रद्द हो गई। अफजाल ने इस सजा को पहले उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी तो फिर सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए संसद सदस्यता बहाल कराई। हालांकि हाईकोर्ट 4 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब 29 जुलाई को यह फैसला आया है।
मारे गए विधायक के बेटे और सरकार ने लगाई थी ये अपील
हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की न्यायपीठ ने गैंगस्टर एक्ट में मिली चार साल की कैद को खारिज कर दिया है। असल में राज्य सरकार और दिवंगत विधायक कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय ने अफजाल की सजा बढ़ाने के लिए अपील लगाई थी। इस अपील पर अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव एवं अपर शासकीय अधिवक्ता जेके उपाध्याय ने कहा था कि 70 साल की उम्र, कई बार विधायक तो दो बार सांसद बनने के चलते गैंगस्टर एक्ट में अफजाल अंसारी को ट्रायल कोर्ट ने कम सजा दी है। कानून के हिसाब से ट्रायल कोर्ट को अपराधी की उम्र वारदात के वक्त से देखनी चाहिए। पीयूष राय के वकील सुदिष्ट कुमार ने सरकार के तर्कों पर सहमति जताई थी।
अब इसलिए मिली राहत
सपा सांसद अफजाल अंसारी की तरफ से प्रस्तुत सीनियर एडवोकेट गोपाल चतुर्वेदी, डीएस मिश्र और एडवोकेट उपेंद्र उपाध्याय ने कहा कि अभियोजन पक्ष के गैंग चार्ट में बहुत से लोग दिखाए गए, लेकिन गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई सिर्फ तीन लोगों पर ही की गई है। ट्रायल कोर्ट में विवेचन पक्ष की टिप्पणी से भी इस मामले के राजनैतिक द्वेष से प्रेरित होना साफ हो रहा है। इस बयान में कहा गया था कि वह 4 साल मोहम्मदाबाद थाने के इंचार्ज रहे, जिस दौरान अफजाल अंसारी के खिलाफ किसी ने कोई छोटी-मोटी शिकायत भी नहीं की। ऐसे में सजा बढ़ाने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता।
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