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UP Government Order : कांवड़ यात्रा के रास्ते में पड़ती हर दुकान के मालिक और नौकर को लिखना होगा-कौन हैं वो

UP Government Order : कांवड़ यात्रा के रास्ते में पड़ती हर दुकान के मालिक और नौकर को लिखना होगा-कौन हैं वो

लखनऊ : सावन में कांवड़ यात्रा की पवित्रता को लेकर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने कड़ा आदेश दिया है। UP Government Order के मुताबिक राज्य में कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित खाद्य पदार्थों की हर दुकान पर नेमप्लेट अन‍िवार्य रूप से लगानी होगी। शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय से इस आदेश को सार्वजनिक करने के साथ ही यह भी कहा गया कि हलाल सर्टिफिकेशन के उत्पाद बेचने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उधर, इस मसले को लेकर विपक्षी दलों ने योगी सरकार को घेरने की कोशिश की तो सरकार की तरफ से माकूल जवाब भी दिया गया है।

अपने-पराये उतरने लगे विरोध में

बता दें कि जैसे उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की तरफ से कांवड़ मार्ग पर खाने-पीने की चीजों वाली दुकानों पर मालिक और वहां काम करने वालों के नाम लिखने का फैसला लिया गया, इसका विरोध भी बड़े स्तर पर शुरू हो गया। केंद्र में सत्ता के सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के केसी त्यागी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने योगी के इस फैसले को सांप्रदायिक भेदभाव वाला कदम करार दिया। यहां तक कि भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी आलोचना की है। इसी के साथ तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य साकेत गोखले ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिख डाला। गोखले की मानें तो यह आदेश अल्पसंख्यक समुदाय के साथ भेदभाव वाला है।

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…लेकिन मंत्री जी का तर्क भी वाजिब है

उधर, इस विरोध के बावजूद योगी सरकार अपने फैसले पर अडिग है। इस संबंध में योगी के मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि यह ठेले वालों का विषय नहीं है। हरिद्वार और गोमुख से पवित्र गंगाजल लेकर 250-300 किलोमीटर की यात्रा करने वाले भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया था। मंत्री अग्रवाल की मानें तो हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर चल रहे ढाबों और होटलों में काम करने वाले ज्यादार लोग मुस्लिम होते हैं। ये प्रतिष्ठान नॉनवैज खाना भी परोसते हैं और जब कांवड़िये इनके यहां भोजन करते हैं तो यह सीधे तौर पर आस्था से खिलवाड़ है। इसी के चलते सरकार ने राज्य के तमाम जिलों में प्रशासन को ऐसी दुकानों की पहचान करके उन पर पाबंदी लगाने का आदेश दिया था। वैसे भी कोई नॉनवैज बेचता है तो बेचे, लेकिन धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करके नहीं।

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