नई दिल्ली : विभिन्न मांगों को जारी Farmers Protest से बड़ा अपडेट आया है। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने गुरुवार को अपने हकों के लिए एक बार फिर से सड़कों पर उतरने का ऐलान कर दिया है। इस ऐलान के मुताबिक एमएसपी कानून की गारंटी, ऋण माफी, फसल बीमा, किसानों और खेतिहर मजदूरों की पेंशन, बिजली के निजीकरण को वापस लेने और अन्य मांगों को लेकर एक बार फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा। इस बीच 16, 17 और 18 जुलाई को मोर्चे की तरफ से प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और सांसदों को चार्टर सौंपा जाएगा।
किसान नेता ने कहा-3 साल में एक न सुनी सरकार ने
SKM की एक प्रैस कॉन्फ्रैंस के मंच से किसान नेता हन्नान मुल्लाह ने कहा कि एमएसपी पर कदम उठाने के लिए कल जीबीएम बुलाई गई थी। 3 साल बीत जाने के बावजूद सरकार ने हमारी बात नहीं सुनी। ऐसे हम फिर से अभियान चलाने जा रहे हैं। पिछली बार दिल्ली घेराव था, लेकिन इस बार अखिल भारतीय स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
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किसान आंदोलन का नतीजा है भाजपा की हार
किसान नेता मुल्लाह ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र की 38 ग्रामीण सीटों पर भाजपा की हार हुई है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी और झारखंड के खूंटी में अर्जुन मुंडा (कृषि मंत्री) की हार किसानों के प्रभाव को साबित करती है। इस तरह से भाजपा को ग्रामीण बहुल 159 निर्वाचन क्षेत्रों में हार का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके हमारी मांगें ज्यों की त्यों हैं। हालांकि अब कुछ और जुड़ गया है। हमारी मांग है कि 736 किसान शहीदों की याद में सिंघू और टिकरी सीमा पर शहीद स्मारक बनाया जाए। भारत विश्व व्यापार संगठन से बाहर आए और कृषि उत्पादन और व्यापार में कोई बहुराष्ट्रीय कंपनी शामिल न हो।