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SP ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर जताया ज्यादा भरोसा, सपा के अंदर उठ रहे सवाल, अंसतोष थामने की क्या होगी रणनीति…

SP ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर जताया ज्यादा भरोसा, सपा के अंदर उठ रहे सवाल, अंसतोष थामने की क्या होगी रणनीति...

ब्यूरो रिपोर्ट:  सपा (SP) ने लोकसभा टिकट देने में दूसरे दलों से आए नेताओं पर ज्यादा भरोसा जताया है। यूपी में उसके अब तक घोषित प्रत्याशियों में आधे से ज्यादा बसपा, भाजपा या कांग्रेसी पृष्ठभूमि के हैं। सपा में अंदरखाने इस स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं। पार्टी के हमदर्दों का कहना है कि इस असंतोष को थामने के लिए शीघ्र ही कारगर कदम उठाने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश में सपा अभी तक अपने सिंबल पर 57 प्रत्याशी घोषित कर चुकी है, इनमें से 29 प्रत्याशी दूसरे दलों की यात्रा तय करके सपा में आए हैं। श्रावस्ती से सपा (SP) प्रत्याशी राम शिरोमणि वर्मा और गाजीपुर से प्रत्याशी अफजाल अंसारी बसपा के सांसद हैं। 

SP ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर जताया ज्यादा भरोसा, सपा के अंदर उठ रहे सवाल, अंसतोष थामने की क्या होगी रणनीति...


SP ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर जताया ज्यादा भरोसा

सलेमपुर से प्रत्याशी बनाए गए रमाशंकर राजभर वर्ष 2009 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीते थे। जौनपुर के प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा बसपा सरकार में कद्दावर मंत्री रहे हैं। लालगंज सुरक्षित सीट से प्रत्याशी बनाए गए दरोगा सरोज भाजपा से सपा (SP) में आए हैं।  कुशीनगर के प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू सैंथवार के पिता जन्मेजय सिंह दो बार देवरिया सदर सीट से भाजपा के विधायक रह चुके हैं। पिंटू खुद विधानसभा उपचुनाव सुभासपा के टिकट पर लड़ चुके हैं। बस्ती के प्रत्याशी राम प्रसाद चौधरी भी बसपा पृष्ठभूमि के हैं।

 

SP ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर जताया ज्यादा भरोसा, सपा के अंदर उठ रहे सवाल, अंसतोष थामने की क्या होगी रणनीति...

डुमरियागंज के सपा (SP) प्रत्याशी भीष्म शंकर कुशल तिवारी संतकबीरनगर से बसपा के सांसद रह चुके हैं। इसी तरह से अम्बेडकरनगर के प्रत्याशी लालजी वर्मा बसपा सरकार में मंत्र रह चुके हैं। फूलपुर से प्रत्याशी बनाए गए अमरनाथ मौर्य भी बसपा पृष्ठभूमि के हैं और स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ सपा ज्वॉइन की थी। कौशाम्बी से प्रत्याशी बनाए गए पुष्पेंद्र सरोज बसपा सरकार में मंत्री रहे इंद्रजीत सरोज के बेटे हैं। इंद्रजीत सरोज भी अब मंझनपुर (कौशाम्बी) से सपा विधायक हैं।

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बांदा के प्रत्याशी शिव शंकर सिंह पटेल भाजपा से निष्कासित किए जाने के बाद सपा में शामिल हुए थे। अकबरपुर के प्रत्याशी राजाराम पाल बसपा और कांग्रेस का सफर तय करते हुए सपा (SP) में ठिकाना पाए। इटावा के प्रत्याशी जितेंद्र दोहरे और सुल्तानपुर के राम भुआल निषाद भी बसपा पृष्ठभूमि के हैं। यही स्थिति फर्रुखाबाद के प्रत्याशी डॉ. नवल किशोर शाक्य की है। वे बसपा और भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य से तलाक ले चुके हैं।

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मोहनलालगंज के सपा (SP) प्रत्याशी आरके चौधरी बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2019 का लोकसभा चुनाव उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। उन्नाव की प्रत्याशी अनु टंडन मूल रूप से कांग्रेसी हैं। बरेली के प्रत्याशी प्रवीण सिंह ऐरन भी कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। आंवला के प्रत्याशी नीरज मौर्य बसपा और भाजपा में रहे हैं। एटा के प्रत्याशी देवेश शाक्य पूर्व विधायक विनय शाक्य के छोटे भाई हैं। विनय शाक्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से इस्तीफा दिया था। आगरा से प्रत्याशी बनाए गए सुरेश चंद कदम वर्ष 2000 में बसपा से आगरा नगर निगम के मेयर का चुनाव लड़ चुके हैं।

 

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