मुजफ्फरनगर (अमित कुमार): उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में स्थित एक स्कूल में छात्र के साथ हुए थप्पड़ कांड का मामला गर्माता जा रहा है, आपको बता दे कि अब पीडीत छात्र के एडमिशन पर समस्या हो रही है। इस थप्पड़ कांड के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले का संज्ञान लिया था। लेकिन संज्ञान के बावजूद आज तक भी इस पीड़ित छात्र की शिक्षा व्यवस्था का बंदोबस्त शासन या प्रशासन नहीं करा पाया है। दरअसल शुक्रवार को नगर में स्थित शारदेन स्कूल में छात्र के एडमिशन को लेकर जनपद के बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला पीडीत छात्र के पिता इरशाद को लेकर पहुँचे, जहाँ छात्र के एडमिशन को लेकर स्कूल प्रबंधन ने टीकाकरण का कार्ड और बच्चे की टीसी मांगी है।
जिसको लेकर पीड़ित छात्रा के पिता इरशाद का कहना है खुब्बापुर स्थित उस स्कूल के शिक्षा अधिकारियों से जब बच्चे की टीसी माँगी गई तो उन्होंने कह दिया कि स्कूल बंद है जबकि स्कूल लगातार चल रहा है। आपको बता दे कि यह स्कूल वही है जहां पीड़ित छात्र पढ़ता था। इरशाद का तो यहां तक कहना है कि बच्चे की शिक्षा में होने वाले ट्रांसपोर्ट और यूनिफॉर्म का खर्चा उसी के सिर पर डाला गया है जबकि अभी तक तो यह तय भी नहीं हो पाया है कि बच्चे की शिक्षा का खर्च कौन उठाएगा। इस मामले को लेकर जहां मुजफ्फरनगर के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया तो वहीं पीड़ित छात्र के पिता इरशाद का कहना है कि कल तो पूरा दिन हमें यहीं पर हो गया व बच्चा भी यही पर साथ था ।
और बच्चे का जो इंटरव्यू आदि था, वह भी हो गया और अब तो दो ही समस्या आ रही है, एक तो जो टीकाकरण का कार्ड होता है व बच्चे की एक टीसी की समस्या आ रही है, उसके बाद हमने स्कूल के शिक्षा अधिकारियों से टीसी मांगी है तो उन्होंने कहा है कि स्कूल बंद है टीसी कहां से लाएं लेकिन स्कूल तो बराबर चल रहा है और यह भी झूठ यहां पर बोला जा रहा है, हां कहा है कि एफिडेविट लिखकर दे दो, कि हम टीसी नहीं दे रहे हैं और हम एडमिशन बच्चे का कर लेंगे, अंदर तो वह अलग ही बात कर रहे थे और डीएसओ साहब यह कह कर गए हैं कि आज ही बच्चे का एडमिशन होगा।
देखिए अभी तो हमें कोई सुविधा नहीं मिली है एवं अभी तो यह भी तय नहीं हुआ कि इसके पैसा स्कूल का कोनसा डिपार्टमेंट देगा क्योंकि वह बोल रहे थे जी अभी तो हमें यह भी नहीं पता कि कौन इसकी जिम्मेदारी देगा या कौन स्कूल का पैसा भेजेगा, अब देखिये हमें तो बच्चा पढ़ाना है अब ये तो सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर करेगा की खर्चा कौन उठेगा और आगे क्या होगा और अगर सरकार भी पल्ला झाड़ दे तो हमें तो बच्चा अपना पढ़ाना है, यह प्रक्रिया जो चली है, वह चार-पांच दिन से चली है।